एक भारत व्यापी संगठन
अखिल भारतीय यादव महासभा
पंजीयन क्रमांक 16162/86 जय यादव
राजधानी यादव (अहीर) समाज, भोपाल
इस संगठन के माध्यम से कृष्ण वंशजों में नवजीवन, नई चेतना एवं स्फूर्ति का संचार हुआ। इसी से समाज के ऊर्जावान नवयुवकों ने समाज को नई ऊँचाई और समाज के उत्थान तथा विकास
हमारा इतिहास
यादवों को चंद्रवंशी राजा युद के वंशज के रूप में जाना जाता है। इस वंश में कई शूरवीर और चक्रवर्ती राजाओं का यादव समाज के पुरोहित गर्ग मुनि ने समाज के उत्थान के लिए समाज का मार्गदर्शन किया। आधुनिक भारत में यादव समुदाय को भारत के वर्तमान सामाजिक संरचना के आधार पर मुख्य रूप से तीन जाति वर्ग में विभक्त किया जा सकता है। ये तीन प्रमुख जाति वर्ग हैं, अहीर, ग्वाला, आभीर या गोल्ला जाति, कुरूजा, धनगर, पाल, बघेल जाति और यदुवंशी राजपूत जाति है।प्राकट्य हुआ, जिन्होंने अपनी वीरता, पराक्रम, बुद्धि और बल कौशल से अपने समाज की स्थापना की। भगवान श्रीकृष्ण यादवों के पूर्वज माने गये हैं। यादव जाति भारत की कुल जनसंख्या को करीब 16 प्रतिशत है। यह जाति भारत के सभी राज्यों में निवास करती है। इन पूर्वजों के माध्यम से कृष्ण वंशजों में नवजीवन व स्फूर्ति चेतना का संचार हुआ। वर्षों से दबी-कूचली इस जाति के उत्थान एवं प्रगति के लिए हमारे पूर्वजों ने अनथक प्रयास किये। यादव जाति की उत्पत्ति के संबंध में दो मत प्रचलित हैं। धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताओं तथा हिन्दू ग्रंथों के अनुसार यादव जाति का उद्भव पौराणिक राजा यदु से हुआ माना जाता है। परंतु भारतीय तथा पाश्चात्य साहित्य एवं पुरातात्विक सबूतों के अनुसार प्राचीन आभीर वंश से अभीर (अहीर) जाति की उत्पत्ति हुईयादव जाति शुरू से ही योद्धा जाति रही है। परंतु राज्य के नष्ट हो जाने पर जीविकोपार्जन हेतु इन्होंने कृषि एवं पशुपालन का व्यवसाय अपना लिया। यादव कहे जाने वाले ज्यादातर लोग, अहीर, ग्वाला तथा आभीर वर्ग से आते हैं। इस जाति का पुश्तैनी रिश्ता भी पालन से रहा है। है।
हमारा वचन
अखिल भारतीय यादव महासभा के नाम से आज से कई वर्ष पूर्व सन् 1923 में प्रयाग में एक भारत व्यापी संगठन का गठन किया गया। इस संगठन के माध्यम से कृष्ण वंशजों में नवजीवन, नई चेतना एवं स्फूर्ति का संचार हुआ। इसी से समाज के ऊर्जावान नवयुवकों ने समाज को नई ऊँचाई और समाज के उत्थान तथा विकास के लिए भरसक प्रयास किये। परंतु वे समाज के उत्थान में पूरा योगदान नहीं दे सके। इसके बाद भी यादवों ने हार नहीं मानी और समाज के बुजुर्गों के आशीर्वाद से नवयुवक संगठित होकर समाज के उत्थान के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। वर्षों से राजनैतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में सशक्त नेतृत्व नहीं मिलने के कारण यादव जाति को प्रदेश एवं देश में स्थापित करने के लिए ऊर्जावान नवयुवकों द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। ये नवयुवक समाज के उत्थान के लिए बुजुर्गों के नेतृत्व में सामाजिक लोगों को एकत्रित करके अपनी आवाज सरकार तक पहुँचाने के लिए निरनतर सक्रिय हैं। इससे निश्चित ही यादव समाज विकसित और परिपक्व हो देश एवं प्रदेश में अपना स्थान बनाने में सफल होगा। राजधानी यादव समाज द्वारा प्रतिवर्ष राजधानी में एकत्रित होकर समाज के उत्थान एवं विकास के लिए सम्मेलन आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम में समाज के हित को ध्यान में रखते हुए एक स्मारिका का प्रकाशन भी किया जाता है। जिसमें विवाह योग्य युवक एवं युवतियों के सचित्र शैक्षणिक योग्यता सहित अन्य जानकारियाँ प्रकाशित की जाती हैं। इस जानकारी से निश्चित ही समाज को वैवाहिक रश्तिे करने में आसानी होती है। इससे कई युवक एवं युवतियाँ अपना वैवाहिक जीवन मधुर संबंधों के साथ सुख पूर्वक व्यतीत कर रहे हैं।
मैं भी समाज के उत्थान के लिए समाज को एकत्रित कर वर्षों से निरंतर प्रयासरत हूँ। मेरी ओर से समाज बन्धुओं को हार्दिक शुभकामनाएँ।